...

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क्यों फेर दे गया . . . .
रातों को ये कैसी लम्हा छोड़ गया
जाते जाते आंखो में पानी दे गया

निशानियां उसकी कुरेदना न चाह
जख्म मेरी नई कहानी दे गया

सजाए थे जो सपने ऐसे चूर हुए
वो है की वादे आसमानी दे गया

शर्मिंदगी कितनी सहेगी ए JOGES
और ये मुझे कैसी जवानी दे गया

मुकद्दर में गर नही था वो शख्स
ख़्वाब क्यू इतने रूहानी दे गया
© joges