क्यों फेर दे गया . . . .
रातों को ये कैसी लम्हा छोड़ गया
जाते जाते आंखो में पानी दे गया
निशानियां उसकी कुरेदना न चाह
जख्म मेरी नई कहानी दे गया
सजाए थे जो सपने ऐसे चूर हुए
वो है की वादे आसमानी दे गया
शर्मिंदगी कितनी सहेगी ए JOGES
और ये मुझे कैसी जवानी दे गया
मुकद्दर में गर नही था वो शख्स
ख़्वाब क्यू इतने रूहानी दे गया
© joges
जाते जाते आंखो में पानी दे गया
निशानियां उसकी कुरेदना न चाह
जख्म मेरी नई कहानी दे गया
सजाए थे जो सपने ऐसे चूर हुए
वो है की वादे आसमानी दे गया
शर्मिंदगी कितनी सहेगी ए JOGES
और ये मुझे कैसी जवानी दे गया
मुकद्दर में गर नही था वो शख्स
ख़्वाब क्यू इतने रूहानी दे गया
© joges