अगले जन्म में
ऑंख मूंद कर चल पड़ा मैं
उस राह पर जहां अंधेरा था
कॉंटों का पथ उपहार मिला
किन्तु वह निर्णय भी मेरा था
अपने विनाश का मैं ही उत्तरदाई हूं
उनका दोष नही जिन्होंने मुझे सींचा था
उनका मस्तक भी आज ऊॅंचा होता...
उस राह पर जहां अंधेरा था
कॉंटों का पथ उपहार मिला
किन्तु वह निर्णय भी मेरा था
अपने विनाश का मैं ही उत्तरदाई हूं
उनका दोष नही जिन्होंने मुझे सींचा था
उनका मस्तक भी आज ऊॅंचा होता...