मां :समर्पण का दूसरा नाम
तुम आओ रात में थके हुए
वो दिन भर की थकी फ़िर भी
तुम्हारी राह तकती रहे
मन न हो तुम्हारा तो काम मत करो ना
वो तो करेंगी ही
भले शरीर दिन भर बुखार में तपती रहे
तुम्हारी इच्छा नहीं कोई बात नहीं
क्या फ़र्क पड़ता है चाहे वो थकती रहे
न जाने लाती है इतनी हिम्मत कहाँ से
तुम सो चैन से भले वो भूख से सिसकती रहे
तुम घर में शहज़ादी बनकर रहो
भले वो तुम्हारी पसंद के कपड़े लाने के लिए दिनभर काम की तलाश में भटकती रहे
भले हो...
वो दिन भर की थकी फ़िर भी
तुम्हारी राह तकती रहे
मन न हो तुम्हारा तो काम मत करो ना
वो तो करेंगी ही
भले शरीर दिन भर बुखार में तपती रहे
तुम्हारी इच्छा नहीं कोई बात नहीं
क्या फ़र्क पड़ता है चाहे वो थकती रहे
न जाने लाती है इतनी हिम्मत कहाँ से
तुम सो चैन से भले वो भूख से सिसकती रहे
तुम घर में शहज़ादी बनकर रहो
भले वो तुम्हारी पसंद के कपड़े लाने के लिए दिनभर काम की तलाश में भटकती रहे
भले हो...