...

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मुस्कुराहट
बचपन के कई ख्वाबों को,
अब पूरा होते देखा है।
पर इन्हें हकीकत बनाने के लिए
स्वयं को जी-तोड़ मेहनत करते पाया।
इस आपाधापी में,
खिलखिलाना, मुस्कुराना,
मुंगेरीलाल के सपने बन गए।
अब तो ये आलम है,
हर दिवस के 24 घंटे में,
ज़ोर डालना पड़ता है दिमाग पर,
क्या आज मैं मुस्कुराई थी? ...