...

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बेटियां
बेटी मां के संस्कार और बाप की मुस्कान को कहते है
तुम वही हो ना जिसे हम नों बहनों वाली मां कहते है
बिदाई पे हम आंसू सरेआम करते है
फिर क्यों छोटी उम् मै हम इन्हे बलिदान करते है
बोझ इतनी भारी है कि हम निलाम सरेआम करते है

बेटी को क्यों हम औरोंके नाम करते है
बेटियों को देखो आज देश के नाम करते है
हम जी रहे है क्यों की लोग इन्हें नौ दिनों का मेहमान कहते है
बेटियों को हम घरों का श्रृंगार कहते है


© rsoy