saadgi
खूबसूरत हो तुम ही
क्यों सरगोशी* में बही जाती हो,
नूर हो तुम
मुझे हूरों सी नजर आती हो,
इस गुलशन* में
भवरों की तुम दीवानी हो,
मेरे मन के कोने में
तुम गुलाबो सी सयानी हो
सौरभ* है वो भी
सूरभी* हो तुम भी
क्यूं नहीं मेहक पाती...
क्यों सरगोशी* में बही जाती हो,
नूर हो तुम
मुझे हूरों सी नजर आती हो,
इस गुलशन* में
भवरों की तुम दीवानी हो,
मेरे मन के कोने में
तुम गुलाबो सी सयानी हो
सौरभ* है वो भी
सूरभी* हो तुम भी
क्यूं नहीं मेहक पाती...