मृगतृष्णा
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
तन्हाई को बाजुओं में भर रहा कोई
पतझड़ से घायल है
हृदय में हुंकार हुई
सावन का इंतजार कर रहा कोई
प्रीतम...
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
तन्हाई को बाजुओं में भर रहा कोई
पतझड़ से घायल है
हृदय में हुंकार हुई
सावन का इंतजार कर रहा कोई
प्रीतम...