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"मैं ठीक हूंँ"...
जब कोई अनायास ही
हमसे हमारा हाल पूछ लेता है,
कि "कैसे हो" तुम..?
ये सवाल पूछ लेता है!
तब एक कसक सी
उठती है दिल में...
और गला रूंध सा जाता है,
सारी पीड़ाओं, वेदनाओं का
कसैलापन बस एक ही सांस में,
कह देने को जी चाहता है!
मगर ये तमाम बातें जब,
अटक जाती हैं हलक में ही,
इस कश्मकश को फिर...
बड़ी ही शालीनता से
छुपाया जाता है...
जिस बेबसी पे फफक-फफक
कर रोना चाहिए था...
उसपे फिर मजबूरन
मुस्कुराया जाता है!
भावनाओं की ये बंद गठरी
दिल में बंधी ही रह जाती है,
चाहकर भी ये आंसुओं के साथ
स्वतंत्र नहीं हो पाती है!
वो दो शब्दों का सवाल
कि तुम "कैसे हो"..?
उसके जवाब को भी
दो शब्दों में ही
ढाल दिया जाता है,
ना चाहते हुए भी
मैं "ठीक हूं" कहके
उस मुश्किल सवाल को
टाल दिया जाता है...
टाल दिया जाता है.!
#सांँझ...✍️
#कैसी_हो_तुम_ठीक_हूंँ_मैं...
#कविता
#आज_फिर_किसी_ने_हमसे_हमारा_हाल_पूछा_है,
#हाय्य्य_कितना_मुश्किल_भरा_ये_सवाल_पूछा_है!
हमसे हमारा हाल पूछ लेता है,
कि "कैसे हो" तुम..?
ये सवाल पूछ लेता है!
तब एक कसक सी
उठती है दिल में...
और गला रूंध सा जाता है,
सारी पीड़ाओं, वेदनाओं का
कसैलापन बस एक ही सांस में,
कह देने को जी चाहता है!
मगर ये तमाम बातें जब,
अटक जाती हैं हलक में ही,
इस कश्मकश को फिर...
बड़ी ही शालीनता से
छुपाया जाता है...
जिस बेबसी पे फफक-फफक
कर रोना चाहिए था...
उसपे फिर मजबूरन
मुस्कुराया जाता है!
भावनाओं की ये बंद गठरी
दिल में बंधी ही रह जाती है,
चाहकर भी ये आंसुओं के साथ
स्वतंत्र नहीं हो पाती है!
वो दो शब्दों का सवाल
कि तुम "कैसे हो"..?
उसके जवाब को भी
दो शब्दों में ही
ढाल दिया जाता है,
ना चाहते हुए भी
मैं "ठीक हूं" कहके
उस मुश्किल सवाल को
टाल दिया जाता है...
टाल दिया जाता है.!
#सांँझ...✍️
#कैसी_हो_तुम_ठीक_हूंँ_मैं...
#कविता
#आज_फिर_किसी_ने_हमसे_हमारा_हाल_पूछा_है,
#हाय्य्य_कितना_मुश्किल_भरा_ये_सवाल_पूछा_है!
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