...

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**उसको देखा**
मिलती थी रोज उससे आज बरसों बाद देखा....
यह सच है या फिर आज भी ख्वाब ही देखा.....

बाहों में सिमट कर पूरा जहां देखा करती थी....
आज उसे किसी और की बाहों में सोते देखा....

उसमें कुछ खास नहीं सिर्फ साधारण सा था ...
मैंने हर पल सिर्फ उसकी सादगी को देखा......

वह सिर्फ दो-चार दिन दिल बहलाने आया था....
मैंने तो अपना पूरा संसार सिर्फ उसी में देखा....

बहक गए क्या फिर से तुम्हारे अरमान मेरे साथ...
भटक मत अच्छे-अच्छों को रास्ते पर आते देखा...

मुझे लगता था उसकी खुशी सिर्फ मेरे साथ है...
मगर मैंने आज उसे गैरों से भी दिल लगाते देखा...