कब????
क्या खूब लिखी तकदीर हमारी
क्या खूब किसी ने हमारी कहानी रचाई
दो अधूरे दिल जब आज साथ बैठे थे
निगाहों ने अलवीदा कहने की हिम्मत थी दिखाई
इक वादा सीने में दबाए, दो रूह अलग हुई
आज भी उस वादे के पूरा होने की उम्मीद है जगाई
गले लगाने को बाजुएं तरसी पड़ी है
जल्द ही कानो में उनके लबों से खुदका नाम जब देगा सुनाई
आज एक साल आख़िर बीत ही गया
साथ हमारे वही पुरानी यादें और हमारी अकेली तन्हाई।
© Literaria
क्या खूब किसी ने हमारी कहानी रचाई
दो अधूरे दिल जब आज साथ बैठे थे
निगाहों ने अलवीदा कहने की हिम्मत थी दिखाई
इक वादा सीने में दबाए, दो रूह अलग हुई
आज भी उस वादे के पूरा होने की उम्मीद है जगाई
गले लगाने को बाजुएं तरसी पड़ी है
जल्द ही कानो में उनके लबों से खुदका नाम जब देगा सुनाई
आज एक साल आख़िर बीत ही गया
साथ हमारे वही पुरानी यादें और हमारी अकेली तन्हाई।
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