...

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समय
समय रहते बांध लेता गर तुझको
ऐसा दर्द ना होता मुझको
टालता रहा समय पर मैं
काम जरूरी जो करने थे मुझको
अब लिपटा में तन्हाई में
सोच रहा हूं गहराई से।

तुम थी मैं था और समा था
तुम खुश थी जितना संग था उसमें
मैं ही व्यर्थ सब पाने पर अड़ा था
भाग रहा था खुशियां पाने
तू हाथों से छूट रहा था।

भूल गया था खुशियां मेरी
संग तेरे हैं मेरे हमदम
जितना समय यूं व्यर्थ गवाया
तेरे साथ बिता देता गर
होती तू मेरे साथ आज भी
मैं यूं तन्हा रह ना जाता।