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##मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं,
तेरी गली मे भी शोर मचाने वाली शाम
तयारी होने मे लगे सारे जमाने हैं,
करू तो यकीं नहीं आज आने की याद
क्यों फ़िर आसमां मे तारे सजाने हैं,
तलाश रही थी जिन्हे खुद ये आखें
उन्ही को कराने इंतिज़ाम पुराने हैं!
© villan001
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