...

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बेहतर से बेहतरीन का सफर.
बेहतर से बेहतरीन का कुछ ऐसा सफर रहा
मुझसे जुड़े जो लाख बन गए मगर मै सिफ़र रहा!

क्या नाकामी जिंदगी में रही कैसे बतायें हम
खुशियाँ मिली भी तो ऐसे की गम का असर रहा!

दोस्त मिले भी तो ऐसे जो आस्तीन का साँप थे
शायद इसलिए लहजे में मेरे अब तक जहर रहा!

बस खुश हूँ एक बात को सोच कर आज रब से
जो होंसला था मेरा कल वो आज भी ठहर रहा!

सूरज सी तपन थी मगर उसकी मोहब्बत की छाँव में
संभल गया ये दिल जैसे वो शामों सहर रहा!

मेरा था जो मेरे साथ सिर्फ कहने को था हमदम
मगर मुझसे ज़्यादा वो औरों का हमसफर रहा!!



© Rashmi Garg