अब मुझे तेरी जरूरत नहीं
अब मुझे तेरी जरूरत नहीं,
मैंने तुझे खुद में पा लिया।
खुद से प्यार कर लिया,
खुद से प्यार निभा लिया।
अब मुझे तेरी जरूरत नहीं।
मैंने तुझे खुद में पा लिया।
मयखाने की ओट का सहारा नहीं मुझे
मोहब्बत मधु ने सराहा हैं
ताश सा फेटा फटकारा कभी,
कभी खुद से जीता कभी हार लिया।
सुर्ख़ चाँद तश्तरी सा तुझे पानी पर
आजंलि भर गले से उतार लिया।
अब मुझे तेरी जरूरत नहीं।
मैंने तुझे खुद में पा लिया।
मैं अब खुद से रास करू,
बन बादल बरसात करू,
निहारूँ खुद की सूरत मैं,
तुझे देखूं खुद से बात करूं
तेरे गले की ख़राश मैं
खुद में उतार लू
कुछ खंखार के फिर खुद को आवाज़ दूँ
तेरी हर आदत की मैंने खुद में उतार लिया
अब मुझे तेरी जरूरत नहीं,
मैंने तुझे खुद में पा लिया।
हक़ीम बन हाल खुद का जान लिया,
तुझसे भरे मन से मन भरा फिर तेरा लिहाफ़ उतार लिया।
मेरे इश्क़ का मुर्शिद बन बड़े पाठ बढ़ाये तूने,
अब उन कहानियों को मैंने खुद से सजा लिया।
अब मुझे तेरी जरूरत नहीं,
मैंने तुझे खुद में पा लिया।
खुद से प्यार कर लिया,
खुद से प्यार निभा लिया।
© maniemo
मैंने तुझे खुद में पा लिया।
खुद से प्यार कर लिया,
खुद से प्यार निभा लिया।
अब मुझे तेरी जरूरत नहीं।
मैंने तुझे खुद में पा लिया।
मयखाने की ओट का सहारा नहीं मुझे
मोहब्बत मधु ने सराहा हैं
ताश सा फेटा फटकारा कभी,
कभी खुद से जीता कभी हार लिया।
सुर्ख़ चाँद तश्तरी सा तुझे पानी पर
आजंलि भर गले से उतार लिया।
अब मुझे तेरी जरूरत नहीं।
मैंने तुझे खुद में पा लिया।
मैं अब खुद से रास करू,
बन बादल बरसात करू,
निहारूँ खुद की सूरत मैं,
तुझे देखूं खुद से बात करूं
तेरे गले की ख़राश मैं
खुद में उतार लू
कुछ खंखार के फिर खुद को आवाज़ दूँ
तेरी हर आदत की मैंने खुद में उतार लिया
अब मुझे तेरी जरूरत नहीं,
मैंने तुझे खुद में पा लिया।
हक़ीम बन हाल खुद का जान लिया,
तुझसे भरे मन से मन भरा फिर तेरा लिहाफ़ उतार लिया।
मेरे इश्क़ का मुर्शिद बन बड़े पाठ बढ़ाये तूने,
अब उन कहानियों को मैंने खुद से सजा लिया।
अब मुझे तेरी जरूरत नहीं,
मैंने तुझे खुद में पा लिया।
खुद से प्यार कर लिया,
खुद से प्यार निभा लिया।
© maniemo