...

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मन की कश्ती
मन की कश्ती
जाने किन विचारों में पड़ी है
लगता है, अन्तर्मन में
सदियों की धूल चडी है
मन तू क्यों हमे तड़पाए
समय रहते, क्यों तू वश में न आए
कहाँ से लाए मन तू जो चाहे
न मिले तो, तू परेशान हो जाए
मन की कश्ती
जाने किन विचारों में पड़ी है..
Dr Shelja kaul Pandita