...

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और फिर जब वो वैशया बनकर खेलिका हो जाती तब क्या होता है।।
जब वह गांव से शहर की ओर,
आई थी,
जब महिला पहली दो मर्दों के साथ संबंध में आई थी,
तब वह अपनी इज्जत तथा असतिव का सारा
बोझ श्री हरि विष्णु को समर्पित कर आई थी,
मगर जब अभी वह इस काम अभी नई नई तो,
आई थी,
मगर फिर भी वह काफी कोमल स्वभाव की थी,
लेखक बतता है कि वह वेशया भी एक लड़की ही थी,
मजबुरी की मार ने उसे वेशया बना दिया,
और वह लेखक यह भी बतता है कि नायिका कोई मनुष्य नहीं थी -
उसके साथ ही वह कोई ग़लती, अपराध, तथा गुनाह नहीं बल्कि वह बहककर वह एक ग्राहक
से दिल लगा बैठती।।
मगर फिर वो वैशया थी जिसके सबूत गाथा में लेखक द्वारा इस तरह अंकित किए गए हैं,
जैसे -
💌-नायिका के द्वारा लिखित प्रेम पत्र।।
👙-उसके मैले कपड़े बास मारते हुए।।
📘-एक श्रीकृष्ण माई किताब।।
📙-एक वैशया की डायरी के पन्ने।
🦚-एक मोरपंख।
🧶 एक अलौकिक प्रेम हृदय समृति।।
👤-एक अलौकिक मूर्ति ।
📝-पत्रिकाए
🛖-मठ
ये उसके एक मजबूरी वर्ष से वेशया कहलाने के सबूत है।।
इसमें हम यह बोल सकते की मज़बूरी ने उसको
तोड़ दिया मगर उसका अपने अस्तित्व की आसीमता में अपने अस्तित्व भरोसा नहीं तोड़ पाई क्योंकि एक असम्भव प्रेम अनन्त हमें यह सिखाती है कि काभी कोई पुरुष या स्त्री कोई संबंध का स्तंभ स्थापित कर ही नहीं सकते वह सिर्फ समझौता करते हैं जिसमे लन्ड को हवस मिटाने के लिए भोग चाहिए तथा स्त्री को रोटी सजाने के लिए अर्थ चाहिए इसलिए यहां एक असंभव प्रेम गाथा अनन्त में अनन्त है जहां केवल लन्ड की जिस्म की नुमाइश है और योनि वीर्य से बनी रोटी सजाने की आस इस लिए कोई भी व्यक्ति और स्त्री काभी जरमसुख नहीं पा सकते इसलिए नायिका अन्त में अपने अस्तित्व को ही प्राप्त होकर बैठकुन्धाम सीधार जाती है, मगर वह कुत्ता अलग-अलग योनि में भृमण करने के योग्य है इसलिए नायिका की भूल समाप्त होकर भी उसे अस्तित्व से वंचित रहकर
कालचक्र स्थाई गति से संचालित करने का मिशन दिया गया है जिसके कारण एक असंभव प्रेम गाथा अनन्त एक वैशया और एक अन्य की यह जाती है।।
वह एक असंभव प्रेम गाथा अनन्त काभी भी बैठकुन्धाम नहीं पहुंच सकती।।
एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त एक वैशया और अन्य की यह असफल होकर भी सफल होने के बाद अपूर्ण रह जाती है
एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में नायिका द्वारा दो रचनाएं उपलब्ध है एक मजबूरी एक ज़रूरत जो एक गरीबी का का चरित्र चित्रण करती जिसमें नायिका मजबुरी द्वारा प्रेम के दायरे में रहकर अपने अस्तित्व की आसीमता में पहली रचना नायिका ने "एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त एक वैशया और अन्य की जिसमें वो पहले एक मजबूरी वर्ष वैशया बन जाती है और धीरे धीरे ही सही मगर उसे वेश्यावृत्ति में रहकर एक ग्राहक में अपने अस्तित्व की आसीमता दिखाई दे जाती है जो कि सिर्फ एक बहकावा होता वह उसमें अपने अस्तित्व की आसीमता का वास देकर अपने को उसे अपने ईष्ट की छवि समझकर अपने को उसे सौंप देती है,फिर यह गाथा एक वैशया विराह स्मृतियों में गाते हुए परिवर्तन होकर बदल जाती है,
जिसके कारण उनमें संभोग तथा यौन संबंध स्थापित होकर वह फिर से एक वैश्या से प्रेमिका कहलाई जाती है और उसी कारण वह दूसरी रचना लेख करती-जिसका नाम एक वैशया प्रेमिका विराह स्मृतियों में गाते हुए कहा गया है।।
क्योंकि पहली प्रेस को संबोधित करती तो दूसरी विराह को संबोधित करती है।।♥️💔
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