ख्वाबों में सजी उसकी तस्वीर ! | Author: Shiv Yogi 🪶
उसका चेहरा जब - जब ख्वाबों में सजता है,
मेरा दिल खुद-ब-खुद फिर चित्रकार बनता है।
शुरू करता हूं उसकी आंखों से और दिल वहीं ठहर जाता है,
सोचते निहारते हर रेखा में अपना प्यार बुनता है।
उसकी आंखों में बसी वो गहराई,
जैसे सागर की लहरों में छुपी हो कोई सच्चाई।
हर बार जब उन आंखों में खुद को देखता हूँ,
अपने अस्तित्व का रहस्य उसमें खोजता हूँ।
उसके गुलाबी होठों की मुस्कान जब है उभरती,
हर रंग और रेखा में उसका ही नाम बुनता है।
उसके होठों की वो नाजुक मिठास,
दिल की धड़कनों को देता है एक नया एहसास।
उसके केशों की घटा में छुपी वो सादगी,
रात की चांदनी सा फिर दिल मोहब्बत करता है।
उसके केशों की खुशबू में...
मेरा दिल खुद-ब-खुद फिर चित्रकार बनता है।
शुरू करता हूं उसकी आंखों से और दिल वहीं ठहर जाता है,
सोचते निहारते हर रेखा में अपना प्यार बुनता है।
उसकी आंखों में बसी वो गहराई,
जैसे सागर की लहरों में छुपी हो कोई सच्चाई।
हर बार जब उन आंखों में खुद को देखता हूँ,
अपने अस्तित्व का रहस्य उसमें खोजता हूँ।
उसके गुलाबी होठों की मुस्कान जब है उभरती,
हर रंग और रेखा में उसका ही नाम बुनता है।
उसके होठों की वो नाजुक मिठास,
दिल की धड़कनों को देता है एक नया एहसास।
उसके केशों की घटा में छुपी वो सादगी,
रात की चांदनी सा फिर दिल मोहब्बत करता है।
उसके केशों की खुशबू में...