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क्या बदलेगा देश हमारा...
क्या बदलेगा देश हमारा,
जब हम खुद नहीं बदलना चहते हैं;
हम क्यो, कोई और करेगा,
यू कहकर आगे बढ़ जाते हैं,
खुद रास्ते पर कचड़ा फेकते ,
और सफाईकर्मीयो को देख 'छी' कहकर दूर हट जाते हैं।
क्या बदलेगा देश हमारा,
जब सब पैसे के अधीन आ जाते है;
अब न्याय मिलेगा किसी को कहाँ ,
जब कानून ही पैसो पर बिक जाते हैं;
अब उनके लिए इन्साफ नहीं,
जो पैसे कम कमाते है।
क्या बदलेगा देश हमारा,
जब मिडिया ही हमारे आँखों पर पट्टी लगाते हैं;
जिनका काम है सच्चाई की रोशनी दिखाना,
वे ही हमे अंधेरी झूठ की पट्टी पढ़ाते हैं,
होता कुछ और दिखाते कुछ और,
वे ही तो बिकाऊ मिडिया वाले कहलाते हैं;
गरीबों के साथ हुआ हादसा, हादसा कहाँ,
सिर्फ़ बड़े लोगो खबरे ही तो मिडिया पर छाती है।
क्या बदलेगा देश हमारा,
जब देश के नेता ही बर्बादी की राह दिखाते हैं;
प्रशाशन और सरकार भी क्या करे,
जब नेता ही ढ़ोगी आते हैं;
धर्म, जात के नाम पर देश को बाटते,
और ढ़ोग कर बेशर्मी की हद पार करते जाते हैं।
क्या बदलेगा देश हमारा,
जब हम इन बातो को समझ ही नहीं पाते हैं;
जागो प्यारे जागो,
अब तो आँखे खोल लो,
झूठ, बेईमानी छोड़कर,
अब तो सत्य की ओर खुद को मोड़ लो,
धर्म, जात के विभाजन को जोड़कर,
अब तो प्रेम भाव मन मे घोल लो ;
क्यो भूल जाते हो,
जब ये बात है गंभीर ,
सम्मान करो उनका, जो है असली वीर;
अक्सर गरीब के बेटे ही करते हैं
देश के लिए जान कुर्बान
क्या कभी देखा है,
किसी नेता के बेते को बनते हुए जवान ।
याद रखना इस बातो को कि,
जब ये बदलाव आएगा,
तभी देश आगे बढ़ पाएगा ।
© Tanya Tripathi
जब हम खुद नहीं बदलना चहते हैं;
हम क्यो, कोई और करेगा,
यू कहकर आगे बढ़ जाते हैं,
खुद रास्ते पर कचड़ा फेकते ,
और सफाईकर्मीयो को देख 'छी' कहकर दूर हट जाते हैं।
क्या बदलेगा देश हमारा,
जब सब पैसे के अधीन आ जाते है;
अब न्याय मिलेगा किसी को कहाँ ,
जब कानून ही पैसो पर बिक जाते हैं;
अब उनके लिए इन्साफ नहीं,
जो पैसे कम कमाते है।
क्या बदलेगा देश हमारा,
जब मिडिया ही हमारे आँखों पर पट्टी लगाते हैं;
जिनका काम है सच्चाई की रोशनी दिखाना,
वे ही हमे अंधेरी झूठ की पट्टी पढ़ाते हैं,
होता कुछ और दिखाते कुछ और,
वे ही तो बिकाऊ मिडिया वाले कहलाते हैं;
गरीबों के साथ हुआ हादसा, हादसा कहाँ,
सिर्फ़ बड़े लोगो खबरे ही तो मिडिया पर छाती है।
क्या बदलेगा देश हमारा,
जब देश के नेता ही बर्बादी की राह दिखाते हैं;
प्रशाशन और सरकार भी क्या करे,
जब नेता ही ढ़ोगी आते हैं;
धर्म, जात के नाम पर देश को बाटते,
और ढ़ोग कर बेशर्मी की हद पार करते जाते हैं।
क्या बदलेगा देश हमारा,
जब हम इन बातो को समझ ही नहीं पाते हैं;
जागो प्यारे जागो,
अब तो आँखे खोल लो,
झूठ, बेईमानी छोड़कर,
अब तो सत्य की ओर खुद को मोड़ लो,
धर्म, जात के विभाजन को जोड़कर,
अब तो प्रेम भाव मन मे घोल लो ;
क्यो भूल जाते हो,
जब ये बात है गंभीर ,
सम्मान करो उनका, जो है असली वीर;
अक्सर गरीब के बेटे ही करते हैं
देश के लिए जान कुर्बान
क्या कभी देखा है,
किसी नेता के बेते को बनते हुए जवान ।
याद रखना इस बातो को कि,
जब ये बदलाव आएगा,
तभी देश आगे बढ़ पाएगा ।
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