...

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बेटियां
आसमान को चीर कर धरती पर आई हूं
खुशियों को चूर, गमों को निगलने आई हूं

मां के अकेलेपन में दिल बहलाने आई हूं
बाबा की मदद कर,हौंसला बढ़ाने आई हूं

बचपन की एक निशानी छोड़ने आई हूं
हर जगह खुशियों की दीपक जलाने आई हूं

एक मां के रूप में मिशाल बनने आई हूं
मान-अपमान सहकर सम्मान देने आई हूं

जज़्बातों की चादर ओढ़, दर्द छुपाने आई हूं
गमों में डूबकर सबको हंसाने आई हूं ।




© Bhawna kumari