...

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शिकायतें आज सारी भूल जाने दे...
जुल्फों को खुला ही रहने दे आज
उंगलियों को मेरी उसमें डूब जाने दे
अरसे हुए हैं तेरी दीदार को
आज खुल के मुस्कुराने दे
शिकायतें आज सारी भूल जाने दे

तकाज़ा तेरी इंतजार का है
परवाह तेरे दीदार का है
मुकद्दर से मुकम्मल हुई है तू
शिकायतें आज सारी भूल जाने दे

रूह में तेरी पनाह होने की इजाजत है,
क़िस्मत को आज भी रूठ जाने दे
तेरे नशीले नैनों में आज डूब जाने दे
शिकायतें आज सारी भूल जाने दे