...

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अजीब कशमकश...!!??
कितनी अजीब कशमकश है,
जो है सामने वो,
सच है या झूठ है,
न रास्ता है न मंजिल,
क्या चाहते हैं, क्या सोचते हैं,
और क्या कर रहे है,
अजीब डगर है,
बस चले जा रहे है
क्या होगा आगे बस एक डर है,
पल भर में सब संवारा है,
पल भर में सब बिखरा
संभालना,
और संभलना कब तक है बस में.??
© भागेश्वरी उइके ✍️

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