...

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करुण रस कविता
चले गए वो, जिनसे थी आस,
छूटा है जीवन, जैसे कोई खास।
सुनसान मन का, हर कोना वीरान,
आँखों में बसी, बस एक पहचान।

सपनों की दुनिया, अब अधूरी रह गई,
खुशियों की रेखा, सब मिट गई।
वो हंसते चेहरे, अब यादों में बंधे,
धड़कनों की ताल, अब हैं गहरे चंद।

कभी साथ खेलते,...