फ़र्क पड़ता है मुझे
मुझे फ़र्क पड़ता है,हां मुझे बुरा भी लगता है
फ़र्क पड़ता है .........
जब अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर
कोई मेरे देश को गालियां बकता है।
फ़र्क पड़ता है जब कोई मेरे धर्म
सभ्यता और संस्कृति का मज़ाक बनाता है।
फ़र्क पड़ता है जब जाति, संप्रदाय, मज़हब को
धर्म के संकुचित अर्थ रूप में समझता और अपनाता है।
देश का नमक खाकर, देश की मिट्टी में पलकर
जब कोई कहे कि देश ने हमारा किया ही क्या है
देश ने हमें दिया ही क्या है तो बुरा लगता है।
जब निजी हित को राष्ट्रहित से ऊपर रखा जाता है
जब हिंदुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए जाते हैं
तो बहुत बुरा लगता है।
विदेश में सस्ती...
फ़र्क पड़ता है .........
जब अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर
कोई मेरे देश को गालियां बकता है।
फ़र्क पड़ता है जब कोई मेरे धर्म
सभ्यता और संस्कृति का मज़ाक बनाता है।
फ़र्क पड़ता है जब जाति, संप्रदाय, मज़हब को
धर्म के संकुचित अर्थ रूप में समझता और अपनाता है।
देश का नमक खाकर, देश की मिट्टी में पलकर
जब कोई कहे कि देश ने हमारा किया ही क्या है
देश ने हमें दिया ही क्या है तो बुरा लगता है।
जब निजी हित को राष्ट्रहित से ऊपर रखा जाता है
जब हिंदुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए जाते हैं
तो बहुत बुरा लगता है।
विदेश में सस्ती...