!...उम्मीद तेरी...!
कितनी दूर वो जा बसे
याद भी उनको आती है क्या?
और कितने दिन मैं घर में बैठूं
कोई आने वाला है क्या?
मुझसे क्यूं नाराज़ हो तुम
सब तुमको बहकाते है क्या?
मैं ही मैं क्यूं ग़म खाऊं
सारी...
याद भी उनको आती है क्या?
और कितने दिन मैं घर में बैठूं
कोई आने वाला है क्या?
मुझसे क्यूं नाराज़ हो तुम
सब तुमको बहकाते है क्या?
मैं ही मैं क्यूं ग़म खाऊं
सारी...