पेड़ की विनती...🥺🥺✍️✍️
#सदियों_का_पेड़
फल फूल मुफ्त में बांट रहा
मुझे फिर भी मानव काट रहा
ले जाते सब लकड़ी ईंधन
मैं रखूं सुरक्षित ये जीवन
वर्षा करवा कर बदल से
देता हूं सबको मैं भोजन
फिर भी मेरी कोई कदर नहीं
इस मानव को तो फिकर नहीं
जब कठिनाई से जूझोगे
तब वृक्ष कहां है पूछोगे
अब तो जंगल जंगल जाके
तू मोटे सीधे छांट रहा
फल फूल.....
झूला...
फल फूल मुफ्त में बांट रहा
मुझे फिर भी मानव काट रहा
ले जाते सब लकड़ी ईंधन
मैं रखूं सुरक्षित ये जीवन
वर्षा करवा कर बदल से
देता हूं सबको मैं भोजन
फिर भी मेरी कोई कदर नहीं
इस मानव को तो फिकर नहीं
जब कठिनाई से जूझोगे
तब वृक्ष कहां है पूछोगे
अब तो जंगल जंगल जाके
तू मोटे सीधे छांट रहा
फल फूल.....
झूला...