आसान है? -२
धधकते सूरज की किरणों में,
सूखे पत्तों की तरह जलते हुए,
जीवन की शाखाओं से टूटते हम,
क्या हवा में बहना आसान है?
गिरते हैं, मगर उठने का नाम नहीं,
हर ठोकर एक नई राह दिखाती है।
सपनों की चिंगारी सुलगती रहे,
क्या राख में भी आग ढूंढना आसान है?
मिट्टी में...
सूखे पत्तों की तरह जलते हुए,
जीवन की शाखाओं से टूटते हम,
क्या हवा में बहना आसान है?
गिरते हैं, मगर उठने का नाम नहीं,
हर ठोकर एक नई राह दिखाती है।
सपनों की चिंगारी सुलगती रहे,
क्या राख में भी आग ढूंढना आसान है?
मिट्टी में...