धधक उठेगा कोई
मुख में मेरे,नाम की है तेरी,माला
जागते सोते की तू बन रही है उजाला
मिट्टी से कल जब लिपट जाऊंगा
नदिया की जलधारा में जब बह जाऊंगा
विस्वास के शिखर छूने उड़ जाऊंगा
विराटता के नभ...
जागते सोते की तू बन रही है उजाला
मिट्टी से कल जब लिपट जाऊंगा
नदिया की जलधारा में जब बह जाऊंगा
विस्वास के शिखर छूने उड़ जाऊंगा
विराटता के नभ...