खुद से अलग ख्वाब.....
बचपन मे एक गाना सुना था
" मै राम नही हूँ फिर क्यों उम्मीद करूँ सीता की "
सातवी, आंठवी मे गयी नही
कि लडकियां
शौक पाल लेती है
बॉय फ्रेंड और
दगा करने लगती है
अपने अभिभावको से
न जाने कितने बहाने बनाकर
मूर्ख बनाती है
मै ये नही कहता कि
सिर्फ लडकिया ही करती है
जिसकिसी के साथ मौज की पेंगे लेती है कोई लडका ही होता है
वो भी छल रहा होता है गार्जियन को....
पर मै लडकियों के लिए ही लिखूंगा
क्योंकि बाद मे होने वाले नुकसान के खामियाजाओं का रोना
ये ज्यादा...
" मै राम नही हूँ फिर क्यों उम्मीद करूँ सीता की "
सातवी, आंठवी मे गयी नही
कि लडकियां
शौक पाल लेती है
बॉय फ्रेंड और
दगा करने लगती है
अपने अभिभावको से
न जाने कितने बहाने बनाकर
मूर्ख बनाती है
मै ये नही कहता कि
सिर्फ लडकिया ही करती है
जिसकिसी के साथ मौज की पेंगे लेती है कोई लडका ही होता है
वो भी छल रहा होता है गार्जियन को....
पर मै लडकियों के लिए ही लिखूंगा
क्योंकि बाद मे होने वाले नुकसान के खामियाजाओं का रोना
ये ज्यादा...