...

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खगोलीय घटनाएं
हैरान
परेशान
ठगी सी रह गई
जहां गहन... इतना गहन
भूमध्य सागर की व्हेल मछलियां
आती होंगी सुरज को चुमने
पर कभी अंदर तक चांद जाते हुए नहीं सुना,

आकाश की आंख से
टूटे हुए मोती भर देते होंगे
संसार के सारे बारिश बनकर,

अनंत ऊंचाई पर होते हुएं भी
उसे टूटना पड़ता है सागर की चाह में,
सुना है चांद के आवर्तन परावर्तन पर
नर्तन करता है उदास दरिया का पानी,

सारी खगोलीय घटनाओं के बीच
अपने सधे हाथों से सारे ग्रह मिलकर
थपते हुए
गढ़ाते हुए,
पकाते हुए...