प्रेम या सज़ा
तेरी ख़ाक मेरे सपनों का महल न बन जाए
तुम्हारा एक मज़ाक मेरी सज़ा न बन जाए
इश्क़ हो तो ही इकरार-ए-इश्क़ करना वर्ना
हिज़्र की शब किसी की ज़िंदगी न बन जाए
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तुम्हारा एक मज़ाक मेरी सज़ा न बन जाए
इश्क़ हो तो ही इकरार-ए-इश्क़ करना वर्ना
हिज़्र की शब किसी की ज़िंदगी न बन जाए
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