...

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कान्हा और मैं....❤️
मैं उदास होकर मंदिर की सीढ़ियों पर बैठी हुई थी
आंखो में आंसू भरे जा रही थी
मुझसे रहा नही गया मैं कान्हा की मूर्ति के पास जा ठहरी
एक पल को शांत हुई फिर एका एक सब कुछ कह गई

मैंने झुंझलाहट में चिल्लाते हुए पूछा
किस कलम से लिखी आपने मेरी किस्मत की रेखा
क्यू मेरे अपने मुझे इतना सताते है
क्यू उम्मीद देकर सब छोड़ जाते है
करु विश्वास किस पर सब मुंह मोड़ जाते है
बताओ क्यू नही कोई मेरे...