...

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सरगोशियाँ,,
#WhisperingNature
I tried to write a poem in Hindi in which nature whispers about pain.

सुनो जाना !
तुम जाओ जहां भी,
खुश रहना, आबाद रहना,,
जहां को अपने सदा शाद रखना,,
मगर इतना भी तुम जरूर याद रखना,
के तेरे जाने के बाद वीरां है मेरा जहां
हर रोज जब भटकता हूं यहां वहां,,
कुदरत और उसमें मौजूद हर शय
मुझसे पूछती है तुम्हारा,,,
वो रस्ते,चलते थे हम साथ साथ जहां,,
ये फूल पौधे, ये दरख़्त और कुंवा,,
ये बहारें और ये मौसमे खजां,,
जमीं पे उड़ती धूल और ये अर्जो समां,,
मुझसे पूछते हैं बता तेरा यार कहां,,
बातें करते हैं जमीं और आसमां,,
मगर सुन लेता हूं मैं इनकी सरगोशियां,,
कुदरत की ये बातें और मेरी मां,,
मिलकर पूछते हैं अक्सर मुझसे ,,,
क्या हो गया तुझे , किधर गई मुस्कुराहटें,,
तेरी आंखों की चमक और वो रौनकें,,
के पहाड़ों को तर्स आता है,,
और हवा बेचैन हुई जाती है,,
दिल खून के आंसू बहाता है,,
और जबां खामोश रह जाती है,,
बजाहिर तो खामोश हैं,
मैं भी और ये कुदरत भी,,
मगर कायनात की ये बुद बुदाहट,,
और मेरी खामोशियों के शोर से,,
दुश्वार हुवा जाता है मेरा जीना,,,
मेरा ज़ब्त खतम हो रहा है,,
और फटा जाता है सीना,,,
मुझे खुद को हंसाना है,,
मुझे खुद को बहलाना है,,,
मुस्कुराहटों का खोल चढ़ाना है,,,
अब शाम ढलने को है,,,
उदास रातों में एक चिराग जलाना है,,
मुझे घर भी लौट कर जाना है,,,
मुझे ये रोग छुपाना है,,,
मुझे मुस्कुराना है,,,
मुझे मुस्कुराना है,,,
मुझे मुस्कुराना है !!






#Tahrimwritings #poetry #nature #heart #love




© Tahrim

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