शब्द ही वार करता है।।
जंग छिड़ी एक बार भईया, चाकू, तीर और तलवार में,
कौन देता है गहरा जख्म,बस एक ही वार में,
चाकू बोला घुस जाऊँ तो जिस्म को फाड़ देता हूँ,
जितनी नसे अंदर है,सब बाहर काढ़ लेता हूँ,
उस पर तीर तमककर बोली, गज़ब का वार मैं करती हूँ
कई बार घुसती नही, सीधा आर पार ही करती हूं,
तलवार भी ताव दिखाते बोली, वार तुझसे ज्यादा करती हूं,
आर-पार की बात...
कौन देता है गहरा जख्म,बस एक ही वार में,
चाकू बोला घुस जाऊँ तो जिस्म को फाड़ देता हूँ,
जितनी नसे अंदर है,सब बाहर काढ़ लेता हूँ,
उस पर तीर तमककर बोली, गज़ब का वार मैं करती हूँ
कई बार घुसती नही, सीधा आर पार ही करती हूं,
तलवार भी ताव दिखाते बोली, वार तुझसे ज्यादा करती हूं,
आर-पार की बात...