...

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गुनहगार
जो सीता रावण की लंका मे उसके ज़ुल्मों की शिकार हुई थी
आज वही सीता पेश हुई हैँ मर्यादा पुरशोतम राम के दरबार मे एक गुनहगार की तरह

हमने तो तमन्ना की थी एक बेहतर दुनिया बनाने की.. ल्र्किनक़ामयाबी हासिल नहीं हुई हैँ अभी तक
जीना पड़ रहा उसी रूडीवादी दुनिया मे हमें पहले की तरह