...

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स्याही की बिखरती बूंदें
स्याही की बिखरती बूंदें पन्नों से बात मिटा गई
पन्नों पे उतरे अक्षरों की इक मुलाक़ात मिटा गई
उलझनों की ख़ामोशी तमाम इल्ज़ाम बता गई
गुजरती हुई रातों के साथ ही जज़्बात मिटा गई

अधूरे शब्दों से सजा वो इंतजार का प्रेम पत्र
धुंधली होती स्याही की इक सौग़ात मिटा गई
नोंक झोंक के ज़िक्र में इक पुरानी कहानी है
वो स्याही पन्नों पे से दिल के हालात मिटा गई

शब्दों में मोहब्बत की निशानी लपेटकर रखी थी
लफ़्ज़ों की गवाही के इक इक काग़ज़ात मिटा गई
भावनाओं की कीमत कुछ इस तरह बंया हो रही है
अश्कों की बूंदों ने पन्नों से इश्क़ की रात मिटा गई

ज़िंदगी की दास्तां में अधूरी कहानियों का ज़िक्र है
आहिस्ता आहिस्ता लबों पे से शिकायात मिटा गई
इंतजार के इम्तिहान आज कल बहुत होने लगे है
यूं ही नहीं लफ़्ज़ों में एहसासों के सवालात मिटा गई

तमाम उल्फ़तों की उलझनों को लिफ़ाफ़े में रखें है
स्याही की बूंदें तसल्लियों की औक़ात मिटा गई
इश्क़ की दास्तां को शब्दों में कैसे बंया करूं अब
इस दिल से झूठी मूठी उम्मीदों की ज़ात मिटा गई

© Ritu Yadav
@My_Word_My_Quotes
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