P7 - लुप्त होती प्रजाती
रिमझिम रिमझिम बारिश जैसे, टिप टिप छत पे बरसती है।
छन छन पायल का शोर मचाती, वो देखो, दो सहेलियां कैसे टहलती है।।
देख लो इसको, की ये नज़ारा अब शायद फिर दिखे न दिखे।
डर की काली रात घनी है, अब शायद ये चाँद फिर न खिले।।
गली मोहल्लों में भी अब,
सिर्फ पतंग लूटने वाले दिखेंगे,
और दीवारों पे खिंची बस तीन खड़ी लकीरें दिखेंगी।
अब किसी कोने में ईट पत्थरों का कोई घर...
छन छन पायल का शोर मचाती, वो देखो, दो सहेलियां कैसे टहलती है।।
देख लो इसको, की ये नज़ारा अब शायद फिर दिखे न दिखे।
डर की काली रात घनी है, अब शायद ये चाँद फिर न खिले।।
गली मोहल्लों में भी अब,
सिर्फ पतंग लूटने वाले दिखेंगे,
और दीवारों पे खिंची बस तीन खड़ी लकीरें दिखेंगी।
अब किसी कोने में ईट पत्थरों का कोई घर...