...

3 views

दोस्ती और इश्क़ की दास्तां...
दोस्ती और इश्क़ में उलझी,
ये कैसी हमारे कहानी थी...?
दस्तक तेरी मेरे दिल पे,
इस बात से मैं अनजानी थी...

कुर्बान था तू मुझपे,
बस यही मेरी परेशानी थी...
तेरे दिल के जज़्बात बस मैं ही समझूँ,
यार, ये तो सच में तेरी मनमानी थी...

तू कहता है तुझे नफ़रत है मुझसे,
मैंने कहां कभी ये मानी थी...
गर, गिला तुझे मैंने तेरी नहीं मानी,
तो यार, तूने भी कहां मेरी जानी थी...

मोहब्बत में बिछड़ते ही हैं लोग,
क्या गलत था, गर मैं तेरी दोस्ती की दीवानी थी...
और गर मैंने दोस्त खोया है, तो बेशक तूने भी कुछ खोया है,
तूने अभी मेरी दोस्ती कहां पहचानी थी...
© Vartika_Gupta