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बीते लम्हें और बीते हम..... 🖊️🖊️
जैसे-जैसे लम्हें बीते,
वैसा-वैसे बीते हम,
बीते तो क्या ना बीते,
फिर क्यू डरते जीने को |
तुम डरते-डरते जीते जाते,
जीते-जीते मरते क्यू,
जीवन है व्यापार नहीं,
नफा नुकसान की फ़िक्र क्यू ||
जो सोचे कल की रोज रोज,
वो खोये आज को पल-पल,
जो रहता आज मे खोया,
वो जी जाता हर एक पल |||
© Sarang Kapoor
वैसा-वैसे बीते हम,
बीते तो क्या ना बीते,
फिर क्यू डरते जीने को |
तुम डरते-डरते जीते जाते,
जीते-जीते मरते क्यू,
जीवन है व्यापार नहीं,
नफा नुकसान की फ़िक्र क्यू ||
जो सोचे कल की रोज रोज,
वो खोये आज को पल-पल,
जो रहता आज मे खोया,
वो जी जाता हर एक पल |||
© Sarang Kapoor
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