...

3 views

बीते लम्हें और बीते हम..... 🖊️🖊️
जैसे-जैसे लम्हें बीते,
वैसा-वैसे बीते हम,
बीते तो क्या ना बीते,
फिर क्यू डरते जीने को |

तुम डरते-डरते जीते जाते,
जीते-जीते मरते क्यू,
जीवन है व्यापार नहीं,
नफा नुकसान की फ़िक्र क्यू ||

जो सोचे कल की रोज रोज,
वो खोये आज को पल-पल,
जो रहता आज मे खोया,
वो जी जाता हर एक पल |||


© Sarang Kapoor