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हज़ारो किरदारो में वो सजता है ,
हज़ारो किरदारो में वो सजता है ,
वो इंसान खुद धुप में जलता हैं ,
ना जाने वो अपनी औलाद केे लिए क्या - क्या करता है ,
कभी हाथ फैलाता ‌हैं ,
तो कभी झुक जाता है ,
वो अपने स्वाभिमान को भी भुलकर ,
वहां भी कदम धर देता है ,
जहाँ उसका स्वाभिमान टूटता है ,
ना जाने वो अपनी औलाद केे लिए क्या - क्या करता है ,
हज़ारो किरदारो में वो सजता है ,
खुद का सपना तोड़ देता है ,
परिवार के सपनो को पूरा करता है ,
खुद खाली...