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बेटियों का नसीब
जिसके पैदा होने पर कोई खुशी न हो।
बराबरी का हक जिसे ना दिया जाए ।
क्या पहने ,कब क्या बोले ,कैसे उठे बैठे ये सब भी पूछ कर किया जाए ।
ज्यादा बढ़े सपने ना लेकर सीमित दायरे में रहे । गलत के सामने भी चुप रहने की और चुपचाप उसे सहने की हिदायते दी जाए ।
उसका खुद का कोई महत्व नहीं है उसे दूसरो के इशारों पर चलना सिखाया और हर बात पर तू जुत्ती समान है ये कहा जाए।जैसे एक मशीन को चलाया जाता है वैसे ही उसे भी चुपचाप चलने को कहा जाए।
मार पिटाई ताने बिना तो जिंदगी उसकी अधूरी है। कुछ करने और सोचने से पहले उसे समाज के उन चार लोगो के बारे में सोचने को मजबुर किया जाए।
अपनी खुशियों और जिंदगी जीने के लिए दूसरो पर निर्भर रहना पड़े ।वो चाहे या ना चाहे पर जबरदस्ती उसे शादी के बंधन में बांध दिया जाए। उसके बाद कैसे भी क्यों ना उसे रखा जाए पर अपनों की इज्जत और उस so called समाज के लिए चुपचाप सब सहती रहे । वो अपने भले ही उसके लिए कुछ न करे पर उसे सबकी खुशियों और इज्जत के लिए अपनी खुशियों को दांव पर रखे । हर स्थिति में आवाज़ और नजरे नीची ही रहे । गलत के लिए लड़ना नहीं बरदास करना आना चाहिए। इन सबके बावजूद उसे ना जाने कितने emotional blackmail से चुप करवाया जाएगा । तू पराई है बार बार इस बात को कानों में डाला जाएगा।।।

हर बार लड़की को लड़की होने का एहसास करवाया जाएगा ।

अगर ऐसा बेटियों का नसीब होता है तो हे ना करना ।।
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