मंजिल ।
तू जिंदगी को जी
उसे समझने की कोशिश न कर
सुंदर सपनो के ताने बाने बुन
उसमे उलझन की कोशिश न कर
चलते वक्त के साथ तु भी चल
उसमें सिमटने की कोशिश न कर
अपने हाथो को फैला, खुल कर साँस ले
अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर
मन में चल रहे युद्ध को विराम दे
खामख्वाह खुद से लड़ने की कोशिश न कर
कुछ बाते भगवान पर छोड़ दे
सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न कर
जो मिल गया उसी में खुश रह
जो सूकून छीन ले वो पाने कोशिश न कर
रास्ते की सुंदरता का लुफ्त उठा
मंजिल पर जल्दी पहुचने की कोशिश न कर।
#WritcoPoemChallenge
As far as a letter goes,
It was nondescript,
The message it carried was sinister
© suthar rs