आत्म रक्षा
देख कर इस युग की दुर्गति,
दिल रोने का करता है।
शिशु, तरुण या हो वृद्ध,
सम्मान के लिए लड़ना पड़ता है।
भेड़िए छिपे हैं, भेड़ की खाल में,
आखेट को तैयार खड़े।
न उम्र देखे, न पहनावा,
कपट, दुर्भावना से भरे।
आघात शारीरिक हो सकता है,
या हो सकता...
दिल रोने का करता है।
शिशु, तरुण या हो वृद्ध,
सम्मान के लिए लड़ना पड़ता है।
भेड़िए छिपे हैं, भेड़ की खाल में,
आखेट को तैयार खड़े।
न उम्र देखे, न पहनावा,
कपट, दुर्भावना से भरे।
आघात शारीरिक हो सकता है,
या हो सकता...