...

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ख्वाबों का आशिया
एक ख्वाबों का आशिया था
जाने कंहा गुम हो गया

एक ख्वाबों का आसमा था
जाने किस घड़ी गुम हो गया

एक निश्चल सी मुस्कान थी
समझदारी ने उसे कंही खो दिया

एक अपनो की दुनिया थी
जिसमें सब अपने थे
वक्त ने जाने उसे कंहा खो दिया

एक निश्छल सा जीवन था
हजारों उम्मीदों से भरा
जानें इस भीड़ ने केसे उसे चुरा लिया

कभी मिले मेरा खोया पिटारा तो
कोई बता देना
केसे खोया पिटारा मिल गया
केसे खोई उम्मीद मिल गई