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मंज़िल की सीढ़ियाँ
मंज़िल की सीढ़ियाँ चढ़कर ही तुझे मेहनत का फल मिलेगा,
चलना ना छोड़ लड़ना ना छोड़ आज नहीं तो कल मिलेगा।
मंज़िल पर नज़र रख पर तू इन रास्तों को प्यार करना ना भूल,
मुश्किलों को लड़कर ही ज़िन्दगी में वो ख़ुशी का पल मिलेगा।
कि कुछ भी हासिल नहीं होता बैठकर रोने वालों को यहाँ पे,
मेहनत के दम पर ही रेगिस्तानी रूपी जीवन में जल मिलेगा।
कौन कहता है कि ख़ुदा बेरहम है वो तेरे दर्द से वाक़िफ नहीं,
कोशिश तो कर तू ईमानदारी से हर समस्या का हल मिलेगा।
यही का यही धरा रह जायेगा साथ कुछ ना जायेगा "पुखराज"
सफ़ल ज़िन्दगी ईमान की राहों पे माना पग-पग छल मिलेगा।
© पुखराज
चलना ना छोड़ लड़ना ना छोड़ आज नहीं तो कल मिलेगा।
मंज़िल पर नज़र रख पर तू इन रास्तों को प्यार करना ना भूल,
मुश्किलों को लड़कर ही ज़िन्दगी में वो ख़ुशी का पल मिलेगा।
कि कुछ भी हासिल नहीं होता बैठकर रोने वालों को यहाँ पे,
मेहनत के दम पर ही रेगिस्तानी रूपी जीवन में जल मिलेगा।
कौन कहता है कि ख़ुदा बेरहम है वो तेरे दर्द से वाक़िफ नहीं,
कोशिश तो कर तू ईमानदारी से हर समस्या का हल मिलेगा।
यही का यही धरा रह जायेगा साथ कुछ ना जायेगा "पुखराज"
सफ़ल ज़िन्दगी ईमान की राहों पे माना पग-पग छल मिलेगा।
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