वो मेरे अंदर से नहीं गया!!
कितने ही लोग आये,
कितने ही लोग गए,
बस वो एक ही शख्स,
मेरे अंदर से नहीं गया।।
मेरी शख्सियत में अक्सर उसका अक्स देखते हैं लोग,
मैं भी तब तक ही ज़िंदा रहा जब तक वो मेरे लिए मर नहीं गया।।
उस मुसाफिर को रस्ता ऐसा भाया,
फिर वो उम्र भर सफ़र में ही रहा...घर नहीं गया।।
मेरे इस हाल पर आपकी राय क्या है!!
उसे खो तो दिया मगर अब भी उसे खोने का...
कितने ही लोग गए,
बस वो एक ही शख्स,
मेरे अंदर से नहीं गया।।
मेरी शख्सियत में अक्सर उसका अक्स देखते हैं लोग,
मैं भी तब तक ही ज़िंदा रहा जब तक वो मेरे लिए मर नहीं गया।।
उस मुसाफिर को रस्ता ऐसा भाया,
फिर वो उम्र भर सफ़र में ही रहा...घर नहीं गया।।
मेरे इस हाल पर आपकी राय क्या है!!
उसे खो तो दिया मगर अब भी उसे खोने का...