तू बयार की तरह रुका नहीं
शिकायतों का हुजूम था
कहां खो गया पता नहीं
तू इधर था मेरे रू-ब-रू
किस गली गया पता नहीं
आखों में कैद कर लिया
हसरत फकत गया नहीं
चुभता रहा कुछ...
कहां खो गया पता नहीं
तू इधर था मेरे रू-ब-रू
किस गली गया पता नहीं
आखों में कैद कर लिया
हसरत फकत गया नहीं
चुभता रहा कुछ...