...

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माँ की पीड़ा
आज रात चाँद बदली में छिप गया
एक स्वर सुनायी दिया...
चाँद ने घूंघट ओढ़ा है,
वाह!
एक आवाज़ आयी...
चाँद ने बुर्क़ा पहना है
वल्लाह!
चाँद सकते में आ गया
गुर्राते हुए बोला,
"मैं भी पुरुष हूँ...
तुम्हारी तरह"
और रौद्र रूप दिखाते हुए
उसने ला...