ए मेरे गांव
लोग कहते है के इस शहर की पहेचान हु मैं
ए मेरे गांव तेरी मिट्टी पे कुर्बान हु मैं
तेरी मासूम सी इस गोद ने पाला है मुझे
ठोकरे जब भी लगी तूने संभाला है मुझे
तेरी गलियों में कही अब भी है बचपन मेरा
है कसम तुझको तू लौटा दे लड़कपन मेरा
मैं कही भी रहू मेरी हर सांस यही रहती है
ये दयार वो है जहा मेरी मां रहती है
तेरी खातिर तो वही छोटा सा फरहान हु मैं
ए मेरे गांव तेरी मिट्टी पे कुर्बान हु मैं...!
© Farhan Haseeb
ए मेरे गांव तेरी मिट्टी पे कुर्बान हु मैं
तेरी मासूम सी इस गोद ने पाला है मुझे
ठोकरे जब भी लगी तूने संभाला है मुझे
तेरी गलियों में कही अब भी है बचपन मेरा
है कसम तुझको तू लौटा दे लड़कपन मेरा
मैं कही भी रहू मेरी हर सांस यही रहती है
ये दयार वो है जहा मेरी मां रहती है
तेरी खातिर तो वही छोटा सा फरहान हु मैं
ए मेरे गांव तेरी मिट्टी पे कुर्बान हु मैं...!
© Farhan Haseeb