क्या पता फिर हम कभी, मिलें ना मिलें
घुंघराले बाल उस पर एक चोटी गुंधी हुई
सांसों की बागडोर, उस पर मेरी बंधी हुई
लंबा है कद मगर छोटी - छोटी ख्वाहिशें
होंगी मुकम्मल कर के, देखिए फरमाइशें
हम हैं जोकर हमको आजमाकर देखिए
दिल को आसमान में उछालकर फेकिए
पानी में तैरना हो अगर डूबना होगा तुम्हें
सरहदें हैं बेशक दूर मगर छूना...
सांसों की बागडोर, उस पर मेरी बंधी हुई
लंबा है कद मगर छोटी - छोटी ख्वाहिशें
होंगी मुकम्मल कर के, देखिए फरमाइशें
हम हैं जोकर हमको आजमाकर देखिए
दिल को आसमान में उछालकर फेकिए
पानी में तैरना हो अगर डूबना होगा तुम्हें
सरहदें हैं बेशक दूर मगर छूना...