...

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परछाई
मैं इंसान और तू मेरी परछाई,
मैं आश्चर्य में हूं तू क्यों साथ नहीं छोड़ती
मैं जहाँ भी जाऊँ तू पीछे पीछे रहती,
क्या तू थकती नहीं जो साथ साथ चलती?

आँख मिचौनि खेलकर मुझे हैरान करती,
कभी छोटी हो जाती तो कभी लंबी
कभी मोटी हो जाती तो कभी पतली,
मैं दौड़ता हूँ तो तू भी साथ-साथ दौड़ती।

जब मैं दुख में आँसू बहाता हूँ
तू आकर पास क्यों...